सुप्रीम कोर्ट की केजरीवाल से शर्त, कहा- बेल मिली तो फाइल साइन न करें, जानिए सुनवाई की बड़ी बातें

नई दिल्ली : आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फर्ज करें कि अगर हम आपको रिलीज (बेल देते हैं) करते हैं और आप चुनाव में भाग लेते हैं और आ

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नई दिल्ली : आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फर्ज करें कि अगर हम आपको रिलीज (बेल देते हैं) करते हैं और आप चुनाव में भाग लेते हैं और आधिकारिक ड्यूटी करते हैं तो इसका व्यापक प्रभाव होगा। हम साफ करना चाहते हैं कि हम अगर आपको रिलीज करते हैं तो हम चाहेंगे कि आप ऑफिशियल ड्यूटी ना करें। इस पर केजरीवाल के वकील ने कहा कि केजरीवाल किसी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे लेकिन एलजी भी फाइल पर दस्तखत ना होने पर फाइल ना रोकें। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट में ईडी ने अंतरिम जमानत का विरोध किया। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए सीएम हैं। वह है हैबिचुअल अपराधी नहीं हैं और आम चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं और यह अति विशेष परिस्थिति का मामला है। बहरहाल, केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई के बाद कोर्ट इस मामले में फैसला देगी।

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से कहा गया कि वह इस बात की अंडरटेकिंग देने को तैयार हैं कि अंतरिम जमानत के दौरान वह किसी भी आधिकारिक फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे। लेकिन साथ ही कहा कि एलजी भी किसी भी फाइल पर सीएम के दस्तखत ना होने के आधार पर काम ना रोकें। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अंतरिम जमानत की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस बात का जिक्र किया कि अगर सीएम अंतरिम जमानत के दौरान ऑफिशियल फंक्शन करते हैं तो इसका व्यापक असर होगा। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने के सवाल पर सुनवाई कर रही है। चुनाव के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी पर विचार करने का फैसला किया था।

केजरीवाल कोई अपराधी नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए सीएम हैं और वह हैबिचुअल अपराधी नहीं हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को आदतन अपराधी की तरह ट्रीट नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेहता की दलील है कि राजनीतिक लोगों को अलग तरह से अलग श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा सकती है तो किसी किसान को खेती के समय जमानत क्यों नहीं दी जा सकती। तब बेंच ने कहा कि वह कोई अलग लीगल मानक तय नहीं करने जा रही है कि पॉलिटिकल लीडर के लिए अलग क्लास होगी। यह मामला वह व्यापक परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं।

देश में आम चुनाव है और मामला अति विशेष परिस्थिति का है: सुप्रीम कोर्ट
सिंघवी ने इस दौरान दलील दी कि केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं और साथ ही कहा कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो उनसे समाज को कोई खतरा नहीं है। हालांकि इस दौरान ईडी की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने अंतरिम जमानत का विरोध किया और कहा कि किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अलग तरह से ट्रीट नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अर्जी पर सुनवाई के दौरान ईडी से जांच में देरी को लेकर सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले का केस फाइल पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से सवाल किया कि आपको कुछ चीजें सामने लाने में दो साल लग गए? गिरफ्तारी और रिमांड को केजरीवाल ने चुनौती दे रखी है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कई सवाल किए हैं।

केजरीवाल का रोल बाद में सामने आया: ईडी की दलील
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि मामले में गवाह और आरोपियों से सीधे प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए। ईडी की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए। राजू ने इस दौरान दलील दी कि जब मामले की जांच शुरू हुई तो जांच के केंद्र में केजरीवाल नहीं थे। उनका रोल बाद में सामने आया। ईडी के वकील ने कहा कि गोवा का जब विधानसभा चुनाव हुआ था तब केजरीवाल वहां 2022 में 7-स्टार होटल में ठहरे थे।

सुनवाई के मुख्य अंश

  • ईडी के वकील अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू: हवाला ऑपरेटर के जरिए 100 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ था। मनीष की जमानत खारिज होने के बाद अभियोजन पक्ष की शिकायत पर 1100 करोड़ अटैच हुए।
  • जस्टिस खन्ना: लेकिन दो साल में 1100 करोड़? लेकिन शुरुआत 100 करोड़ से होने की बात है।
  • राजू: जब छानबीन शुरू हुई तो केजरीवाल का नाम नहीं था। उनका रोल बाद में आया है इसलिए शुरुआती जांच में कोई सवाल नहीं किया गया। क्योंकि छानबीन में उन पर कोई फोकस नहीं था। गवाहों के बयान देखे जाएं कोई विरोधाभास नहीं है।
  • जस्टिस खन्ना: 100 करोड़ की बात कहां से आई। आपके पास केस डायरी या केस फाइल हैं तो आप उसे पेश करें। हम ऑफिसर की नोटिंग देखना चाहते हैं। दूसरा मुद्दा यह है कि आपको इस मामले में दो साल क्यों लगें। किसी भी एजेंसी के लिए यह कहना सही नहीं है कि उसे चीजों को उजागर करने में दो साल लगे।
  • राजू:हमने पाया कि गोवा चुनाव के दौरान केजरीवाल 7 स्टार होटल में रुके थे और जिसने कैश स्वीकार किया था उसने होटल के बिल का पार्ट पेमेंट किया था।
  • जस्टिस खन्ना: आप बताएं कि केजरीवाल का नाम पहली बार कब आया।
  • राजू: 23 फरवरी, 2023 को पहली बार बुच्ची बाबू के बयान में नाम आया। उन्होंने कहा था कि मगुंटा रेड्डी से केजरीवाल मिले थे।
  • जस्टिस खन्ना: क्या जो बयान है वह बयान कानूनी तौर पर स्वीकार्य है? आप सिर्फ वह बयान बताएं जिनसे केजरीवाल का रोल आया है और वह संलिप्त पाए गए हैं। रिमांड के दौरान आपकी जिम्मेदारी है कि आप रिमांड अर्जी को जस्टिफाई करें। केजरीवाल की ओर से दलील है कि आपने अपने दायित्व का निर्वाह इस दौरान नहीं किया। वह सही हो सकते हैं और नहीं भी।
  • जस्टिस दत्ता: अगर कोई मैटिरियल है तो बताएं कि जिससे वह दोषी हैं। अगर कोई ऐसा पॉइंट है जो कहे कि दोषी नहीं हैं तो वह बताएं। क्या आप सिलेक्टिव हो सकते हैं? आपको बैलेंस अप्रोच रखना होगा।
  • जस्टिस खन्ना: क्या आप बताएंगे कि केजरीवाल किस बयान के आधार पर संलिप्त हैं और किस तारीख को?
  • राजू: मेरे लिखित दलील में है।
  • जस्टिस खन्ना खन्ना: वह चुने हुए सीएम हैं चुनाव चल रहा है। यह अति विशेष परिस्थिति है वह हैबिचुअल नहीं है।
  • मेहता: हम कौन सा उदाहरण पेश कर रहे हैं, क्या अन्य लोगों का महत्व सीएम से कम है?
  • मेहता: सीएम से मामले को अलग तरह से नहीं देखा जाना चाहिए। क्या हम राजनीतिक लोगों को अपवाद बनाएंगे?
  • जस्टिस खन्ना: ये अलग बात है। चुनाव पांच साल में एक बार होता है। हम इसे सराह नहीं सकते। हम नहीं चाहेंगे कि राजनीतिक लोगों को अलग तरह से ट्रीट किया जाए। लेकिन मामला यह अति विशेष परिस्थितियों का है देश में चुनाव हो रहा है।
  • मेहता: अगर इन्होंने सहयोग किया होता तो शायद गिरफ्तार ना होते। अब ये कह रहे हैं कि रैली करेंगे।
  • जस्टिस खन्ना: वह इस बात को कहने के लिए अधिकार रखते हैं कि चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों हुई? हम इस पर कमेंट नहीं करना चाहते हैं।
  • मेहता: चीफ मिनिस्टर समन से भाग रहे थे। यह गलत मेसेज था। अगर उन्हें सहूलियत दी गई तो कॉमन मैन में गलत मेसेज जाएगा।
  • जस्टिस खन्ना: हम आपके ऑब्जेक्शन को समझते हैं। आप अपनी दलील को अंतरिम जमानत पर करें। हम आपकी दलील को सुनेंगे। हम जानते हैं कि 9 समन उन्होंने अस्वीकार किया।
  • मेहता: पहले हमें आपको सुनना चाहिए। आसमान नहीं गिरेगा।
  • जस्टिस खन्ना: नहीं। यह समय लौटेगा नहीं।
  • मेहता: सीएम के बिना एडमिनिस्ट्रेशन नहीं रुकता है। उन्होंने साइन नहीं करने हैं।
  • जस्टिस खन्ना ने सिंघवी से पूछा: क्या ये सही है?
  • सिंघवी: एलजी ने अभी दो हफ्ते पहले फाइल वापस इसलिए की कि उस पर सीएम के दस्तखत नहीं हैं।
  • जस्टिस खन्ना: अगर हमने आपको रिलीज किया तो आप चुनाव में हिस्सा लेंगे। ऑफिशियल ड्यूटी करेंगे तो इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।
  • सिंघवी: पूरा देश मुझे देख रहा है। ईडी मुझे ह्यूमलियेट कर रही है। डेढ़ साल में कुछ नहीं हुआ।
  • जस्टिस खन्ना: अगर हमने आपको रिलीज किया भी तो हम साफ करना चाहते हैं कि हम नहीं चाहते हैं कि आप ऑफिशियल ड्यूटी करें। ये संतुलन का मसला है।
  • सिंघवी: हम कोर्ट में अंडरटेकिंग देंगे कि किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे लेकिन यह कंडीशन हो कि एलजी काम नहीं रोंकेंगे।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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